ऐसे छूते हैं तसव्वुर में तुझे हम चुप-चाप
जैसे फूलों को छुआ करती है शबनम चुप-चाप
मजाज़ जयपुरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कब का गुज़र चुका है दीवानगी का आलम
फिर भी 'मजाज़' अपना दामन रफ़ू करे है
मजाज़ जयपुरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
मेरी आँखें हैं तिरे हुस्न की गोया तस्वीर
मैं ने देखा है तिरे हुस्न का आलम चुप-चाप
मजाज़ जयपुरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |