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मजाज़ जयपुरी शायरी | शाही शायरी

मजाज़ जयपुरी शेर

3 शेर

ऐसे छूते हैं तसव्वुर में तुझे हम चुप-चाप
जैसे फूलों को छुआ करती है शबनम चुप-चाप

मजाज़ जयपुरी




कब का गुज़र चुका है दीवानगी का आलम
फिर भी 'मजाज़' अपना दामन रफ़ू करे है

मजाज़ जयपुरी




मेरी आँखें हैं तिरे हुस्न की गोया तस्वीर
मैं ने देखा है तिरे हुस्न का आलम चुप-चाप

मजाज़ जयपुरी