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महताब हैदर नक़वी शायरी | शाही शायरी

महताब हैदर नक़वी शेर

2 शेर

एक मैं हूँ और दस्तक कितने दरवाज़ों पे दूँ
कितनी दहलीज़ों पे सज्दा एक पेशानी करे

महताब हैदर नक़वी




मतलब के लिए हैं न मआनी के लिए हैं
ये शेर तबीअत की रवानी के लिए हैं

महताब हैदर नक़वी