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ख़ान रिज़वान शायरी | शाही शायरी

ख़ान रिज़वान शेर

1 शेर

ये ख़द्द-ओ-ख़ाल ये गेसू ये सूरत-ए-ज़ेबा
सभी का हुस्न है अपनी जगह मगर आँखें

ख़ान रिज़वान