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ख़ादिम रज़्मी शायरी | शाही शायरी

ख़ादिम रज़्मी शेर

3 शेर

हम को जाना था किस तरफ़ 'रज़्मी'!
और किस सम्त हैं रवाँ हम लोग

ख़ादिम रज़्मी




कुछ इस लिए भी वो सैलाब भेज देता है
कि बस्तियों में रहो और खंडर भी साथ रखो

ख़ादिम रज़्मी




उम्रें गुज़र गई हैं असर की तलाश में
किस ना-मुराद लब की दुआ हो गए हैं हम

ख़ादिम रज़्मी