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कशफ़ी मुल्तानी शायरी | शाही शायरी

कशफ़ी मुल्तानी शेर

6 शेर

आब-ए-हैवाँ को मय से क्या निस्बत
पानी पानी है और शराब शराब

कशफ़ी मुल्तानी




'कशफ़ी' को कोई पूछने आए तो दोस्तो
कहना कि चंद शेर सुना कर चले गए

कशफ़ी मुल्तानी




नाचती है जब तू अपने दिलरुबा अंदाज़ से
आफ़रीं के नग़्मे उठते हैं दिलों के साज़ से

कशफ़ी मुल्तानी




तेरी आँखें हैं कि आहू-ए-ख़ुतन की आँखें
महव-ए-हैरत थीं जवानान-ए-चमन की आँखें

कशफ़ी मुल्तानी




थक थक के तिरी राह में यूँ बैठ गया हूँ
गोया कि बस अब मुझ से सफ़र हो नहीं सकता

कशफ़ी मुल्तानी




ज़माना आया कुछ ऐसा कि अब तो हर घर में
लटक रही है मसर्रत नज़ीर की तस्वीर

कशफ़ी मुल्तानी