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कमाल जाफ़री शायरी | शाही शायरी

कमाल जाफ़री शेर

4 शेर

बिखरा बिखरा हूँ एक मुद्दत से
रफ़्ता रफ़्ता सँवर रहा हूँ मैं

कमाल जाफ़री




हमेशा आप को समझा कि आप अपने हैं
हमेशा आप ने समझा कि दूसरे हैं हम

कमाल जाफ़री




क़रीब रह कि भी तू मुझ से दूर दूर रहा
ये और बात कि बरसों से तेरे पास हूँ मैं

कमाल जाफ़री




ज़लज़ला नेपाल में आया कि हिन्दोस्तान में
ज़लज़ले के नाम से थर्रा उठा सारा जहाँ

कमाल जाफ़री