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जौहर ज़ाहिरी शायरी | शाही शायरी

जौहर ज़ाहिरी शेर

2 शेर

हम रहे हैं मंज़िलों ही मंज़िलों में उम्र भर
जैसे क़िस्मत में किसी पहलू शकेबाई न थी

जौहर ज़ाहिरी




वो लोग जो कि मआल-ए-चमन से वाक़िफ़ हैं
ख़िज़ाँ-नसीब गुलों की बहार क्या देखें

जौहर ज़ाहिरी