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रवा-रवी में गुलों की बहार क्या देखें | शाही शायरी
rawa-rawi mein gulon ki bahaar kya dekhen

ग़ज़ल

रवा-रवी में गुलों की बहार क्या देखें

जौहर ज़ाहिरी

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रवा-रवी में गुलों की बहार क्या देखें
चमन चमन है ख़िज़ाँ दरकिनार क्या देखें

नवा-ए-सोज़-ए-फ़ुग़ाँ शोला-बार क्या देखें
जहान-ए-हुस्न में इक ख़लफ़शार क्या देखें

हर एक रंग में ये मरकज़-ए-हम-ओ-ग़म है
मआल-ए-हस्ती-ए-ना-पाएदार क्या देखें

वो लोग जो कि मआल-ए-चमन से वाक़िफ़ हैं
ख़िज़ाँ-नसीब गुलों की बहार क्या देखें

वो चार तिनके नशेमन के क्या बचे होंगे
चमन पे बर्क़ गिरी लाख बार क्या देखें

नज़र फ़रेब है 'जौहर' ये कारोबार-ए-जहाँ
फ़रोग़-ए-माह ओ गुल-ए-मुश्क-बार क्या देखें