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जमील उस्मान शायरी | शाही शायरी

जमील उस्मान शेर

5 शेर

बदलेगी काएनात मिरी बात मान लो
मुझ से मिलाओ हात मिरी बात मान लो

जमील उस्मान




है ज़िंदगी बग़ैर तुम्हारे इक इज़्तिराब
दे दो इसे सबात मिरी बात मान लो

जमील उस्मान




हम राज़-ए-दिल छुपाते मगर अपनी ज़िंदगी
पूरी खुली किताब अगर हो तो क्या करें

जमील उस्मान




किस ने कहा है तुम से कि ता-उम्र साथ दो
है चार दिन की बात मिरी बात मान लो

जमील उस्मान




सो जाइए हुज़ूर कि अब रात हो गई
जो बात होने वाली थी वो बात हो गई

जमील उस्मान