सो जाइए हुज़ूर कि अब रात हो गई
जो बात होने वाली थी वो बात हो गई
अब कहने सुनने के लिए कुछ भी नहीं रहा
बस इतना काफ़ी है कि मुलाक़ात हो गई
थोड़ी सी देर इस में हुई तो ज़रूर है
लेकिन क़ुबूल अपनी मुनाजात हो गई
हम बीज बो के सू-ए-फ़लक देखते रहे
और देखते ही देखते बरसात हो गई
अपनों में हार जीत के मअ'नी ही और हैं
ख़ुश हूँ बहुत कि उन से मुझे मात हो गई

ग़ज़ल
सो जाइए हुज़ूर कि अब रात हो गई
जमील उस्मान