बदलेगी काएनात मिरी बात मान लो
मुझ से मिलाओ हात मिरी बात मान लो
हम से क़दम मिला के चलोगे तो देखना
सर होंगे शश-जहात मिरी बात मान लो
बिगड़ी हुई जो बात बड़ी मुद्दतों से है
बन जाएगी वो बात मिरी बात मान लो
है ज़िंदगी बग़ैर तुम्हारे इक इज़्तिराब
दे दो इसे सबात मिरी बात मान लो
किस ने कहा है तुम से कि ता-उम्र साथ दो
है चार दिन की बात मिरी बात मान लो
पीना पड़े कहीं न तुम्हें भी मिरी तरह
तल्ख़ाबा-ए-हयात मिरी बात मान लो
मैं जानता हूँ मेरी तरह चाहती हो तुम
तंहाई से नजात मिरी बात मान लो

ग़ज़ल
बदलेगी काएनात मिरी बात मान लो
जमील उस्मान