घर के सब दरवाज़े क्यूँ दीवार हुए हैं
घर से बाहर दुनिया सारी चीख़ रही है
जमाल ओवैसी
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गुरेज़-पा है नया रास्ता किधर जाएँ
चलो कि लौट के हम अपने अपने घर जाएँ
जमाल ओवैसी
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जो माँग रहे हो वो मिरे बस में नहीं है
दरख़्वास्त तुम्हारी है ज़रूरत से ज़ियादा
जमाल ओवैसी
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मौत बर-हक़ है एक दिन लेकिन
नींद रातों को ख़ूब आती है
जमाल ओवैसी