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जलील हश्मी शायरी | शाही शायरी

जलील हश्मी शेर

3 शेर

दीवारों की बस्ती में
दरवाज़ा लिक्खा मैं ने

जलील हश्मी




सीख लिया जीना मैं ने
इतना ज़हर पिया मैं ने

जलील हश्मी




तेरी सूरत पर गुमान-ए-दश्त-ओ-सहरा हाए हाए
तेरे क़दमों में बहारें ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी

जलील हश्मी