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सीख लिया जीना मैं ने | शाही शायरी
sikh liya jina maine

ग़ज़ल

सीख लिया जीना मैं ने

जलील हश्मी

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सीख लिया जीना मैं ने
इतना ज़हर पिया मैं ने

शिकवा नहीं किया मैं ने
आँसू पोंछ लिया मैं ने

उन से मिल कर आया हूँ
ख़्वाब नहीं देखा मैं ने

हवा को आते जब देखा
रौशन किया दिया मैं ने

प्यासा था करता भी क्या
लिख डाला दरिया मैं ने

परचम सा लहराया हूँ
खाई तेज़ हवा मैं ने

हुस्न-ए-चमन लिखता कैसे
पढ़ा न इक पत्ता मैं ने

दीवारों की बस्ती में
दरवाज़ा लिक्खा मैं ने

पाश पाश हुआ फिर भी
सर ऊँचा रक्खा मैं ने

किसी को क्या देना 'हशमी'
क़र्ज़ ही किए अदा मैं ने