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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
1 शेर
इसी उम्मीद पर तो जी रहे हैं हिज्र के मारे कभी तो रुख़ से उट्ठेगी नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
हाशिम अली ख़ाँ दिलाज़ाक