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हमीद कौसर शायरी | शाही शायरी

हमीद कौसर शेर

2 शेर

वही देखूँ जिसे देखा न जाए
ये मंज़र और कितनी बार देखूँ

हमीद कौसर




वो एक शख़्स कि गुमनाम था ख़ुदाई में
तुम्हारे नाम के सदक़े में नामवर ठहरा

हमीद कौसर