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हफ़ीज़ ताईब शायरी | शाही शायरी

हफ़ीज़ ताईब शेर

2 शेर

सिमटा तिरा ख़याल तो गुल-रंग अश्क था
फैला तो मिस्ल-ए-दश्त-ए-वफ़ा फैलता गया

हफ़ीज़ ताईब




ये दिल है मिरा या किसी कुटिया का दिया है
बुझता है दम-ए-सुब्ह तो जलता है सर-ए-शाम

हफ़ीज़ ताईब