कब से बंजर थी नज़र ख़्वाब तो आया
शुक्र है दश्त में सैलाब तो आया
ग़ुफ़रान अमजद
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कोई जुगनू कोई तारा कोई सूरज कोई चाँद
और अजब बात कि महरूम-ए-उजाला सब हैं
ग़ुफ़रान अमजद
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नवाह-ए-लफ़्ज़-ओ-मआनी में गूँज है किस की
कोई बताए ये 'अमजद' कि हम बताएँगे
ग़ुफ़रान अमजद
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