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ग़ुफ़रान अमजद शायरी | शाही शायरी

ग़ुफ़रान अमजद शेर

3 शेर

कब से बंजर थी नज़र ख़्वाब तो आया
शुक्र है दश्त में सैलाब तो आया

ग़ुफ़रान अमजद




कोई जुगनू कोई तारा कोई सूरज कोई चाँद
और अजब बात कि महरूम-ए-उजाला सब हैं

ग़ुफ़रान अमजद




नवाह-ए-लफ़्ज़-ओ-मआनी में गूँज है किस की
कोई बताए ये 'अमजद' कि हम बताएँगे

ग़ुफ़रान अमजद