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फ़िरदौस गयावी शायरी | शाही शायरी

फ़िरदौस गयावी शेर

5 शेर

इल्म की इब्तिदा है हंगामा
इल्म की इंतिहा है ख़ामोशी

फ़िरदौस गयावी




मैं एक संग हूँ मुझ में हैं सूरतें पिन्हाँ
मुझे तराशने आज़र तो सामने आए

फ़िरदौस गयावी




तमाम उम्र जो हँसता ही रह गया यारो
बला का दर्द था उस शख़्स की कहानी में

फ़िरदौस गयावी




तुम को आना है तो आ जाओ इसी आलम में
बिगड़े हालात ग़रीबों के सँवरते हैं कहीं

फ़िरदौस गयावी




वही जो देता है दुनिया को उलझनों से नजात
कभी कभी वही उलझन में डाल देता है

फ़िरदौस गयावी