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डॉ. पिन्हाँ शायरी | शाही शायरी

डॉ. पिन्हाँ शेर

4 शेर

ख़्वाब देखे थे टूट कर मैं ने
टूट कर ख़्वाब देखते हैं मुझे

डॉ. पिन्हाँ




मैं शर की शरारत से तो होश्यार हूँ लेकिन
अल्लाह बचाए तो बचूँ ख़ैर के शर से

डॉ. पिन्हाँ




पत्थर न बना दे मुझे मौसम की ये सख़्ती
मर जाएँ मिरे ख़्वाब न ताबीर के डर से

डॉ. पिन्हाँ




ये दिल अजीब है अक्सर कमाल करता है
जवाब जिन का नहीं वो सवाल करता है

डॉ. पिन्हाँ