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अज़हर नवाज़ शायरी | शाही शायरी

अज़हर नवाज़ शेर

7 शेर

चारासाज़ो मिरा इलाज करो
आज कुछ दर्द में कमी सी है

अज़हर नवाज़




जो मेरा झूट है अक्सर मिरे अंदर निकलता है
जिसे कम-तर समझता हूँ वही बेहतर निकलता है

अज़हर नवाज़




ख़ूबसूरत है सिर्फ़ बाहर से
ये इमारत भी आदमी सी है

अज़हर नवाज़




किसी बुज़दिल की सूरत घर से ये बाहर निकलता है
मिरा ग़ुस्सा किसी कमज़ोर के ऊपर निकलता है

अज़हर नवाज़




कोई किरदार अदा करता है क़ीमत इस की
जब कहानी को नया मोड़ दिया जाता है

अज़हर नवाज़




मोहतरम कह के मुझे उस ने पशेमान किया
कोई पहलू न मिला जब मिरी रुस्वाई का

अज़हर नवाज़




मुझ को हर सम्त ले के जाता है
एक इम्कान तेरे होने का

अज़हर नवाज़