चारासाज़ो मिरा इलाज करो
आज कुछ दर्द में कमी सी है
अज़हर नवाज़
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जो मेरा झूट है अक्सर मिरे अंदर निकलता है
जिसे कम-तर समझता हूँ वही बेहतर निकलता है
अज़हर नवाज़
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ख़ूबसूरत है सिर्फ़ बाहर से
ये इमारत भी आदमी सी है
अज़हर नवाज़
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किसी बुज़दिल की सूरत घर से ये बाहर निकलता है
मिरा ग़ुस्सा किसी कमज़ोर के ऊपर निकलता है
अज़हर नवाज़
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कोई किरदार अदा करता है क़ीमत इस की
जब कहानी को नया मोड़ दिया जाता है
अज़हर नवाज़
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मोहतरम कह के मुझे उस ने पशेमान किया
कोई पहलू न मिला जब मिरी रुस्वाई का
अज़हर नवाज़
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मुझ को हर सम्त ले के जाता है
एक इम्कान तेरे होने का
अज़हर नवाज़
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