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दाग़ चेहरे का यूँही छोड़ दिया जाता है | शाही शायरी
dagh chehre ka yunhi chhoD diya jata hai

ग़ज़ल

दाग़ चेहरे का यूँही छोड़ दिया जाता है

अज़हर नवाज़

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दाग़ चेहरे का यूँही छोड़ दिया जाता है
आइना ज़िद में मगर तोड़ दिया जाता है

तेरी शोहरत के पस-ए-पर्दा मिरा नाम भी है
तेरी लग़्ज़िश से मुझे जोड़ दिया जाता है

कोई किरदार अदा करता है क़ीमत इस की
जब कहानी को नया मोड़ दिया जाता है

इक तवाज़ुन जो बिगड़ता है कभी रूह के साथ
शीशा-ए-जिस्म वहीं फोड़ दिया जाता है