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अता शाद शायरी | शाही शायरी

अता शाद शेर

4 शेर

दर्द की धूप में सहरा की तरह साथ रहे
शाम आई तो लिपट कर हमें दीवार किया

अता शाद




दिल वो सहरा है जहाँ हसरत-ए-साया भी नहीं
दिल वो दुनिया है जहाँ रंग है रानाई है

अता शाद




दिलों के दर्द जगा ख़्वाहिशों के ख़्वाब सजा
बला-कशान-ए-नज़र के लिए सराब सजा

अता शाद




वो क्या तलब थी तिरे जिस्म के उजाले की
मैं बुझ गया तो मिरा ख़ाना-ए-ख़राब सजा

अता शाद