आँसुओं को फ़ुज़ूल मत समझो
ये बड़े क़ीमती सहारे हैं
आसिफ़ रज़ा
अजनबी मुझ से आ गले मिल ले
आज इक दोस्त याद आए मुझे
आसिफ़ रज़ा
भूल बैठा हूँ मैं ज़माने को
अब ज़माना भी भूल जाए मुझे
आसिफ़ रज़ा
जतन तो ख़ूब किए उस ने टालने के मगर
मैं उस की बज़्म से उस के जवाब तक न उठा
आसिफ़ रज़ा
सिर्फ़ मैं अपनी कहानी ही नहीं
सुन मुझे तेरी भी रूदाद हूँ मैं
आसिफ़ रज़ा
ता-कि न निगाहों को अंधेरे नज़र आएँ
आईना उजालों ने ये चमकाया हुआ है
आसिफ़ रज़ा
तेरा मेरा है गुमाँ का रिश्ता
तू है मेरी तिरी ईजाद हूँ मैं
आसिफ़ रज़ा
ये दिल में वसवसा क्या पल रहा है
तिरा मिलना भी मुझ को खल रहा है
आसिफ़ रज़ा
ये मिरी बज़्म नहीं है लेकिन
दिल लगा है तो लगा रहने दो
आसिफ़ रज़ा