एक तस्वीर हूँ ग़म की जिस पर
मुस्कुराने का गुमाँ होता है
अशरफ़ यूसुफ़
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हवा के लम्स में उस की महक भी होती है
वो शाख़-ए-गुल जो कहीं रू-ब-रू नहीं होती
अशरफ़ यूसुफ़
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