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अशरफ़ यूसुफ़ शायरी | शाही शायरी

अशरफ़ यूसुफ़ शेर

2 शेर

एक तस्वीर हूँ ग़म की जिस पर
मुस्कुराने का गुमाँ होता है

अशरफ़ यूसुफ़




हवा के लम्स में उस की महक भी होती है
वो शाख़-ए-गुल जो कहीं रू-ब-रू नहीं होती

अशरफ़ यूसुफ़