अब ए'तिबार पे जी चाहता तो है लेकिन
पुराने ख़ौफ़ दिलों से कहाँ निकलते हैं
अशफ़ाक़ आमिर
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अपनी ख़ुशी से मुझे तेरी ख़ुशी थी अज़ीज़
तू भी मगर जाने क्यूँ मुझ से ख़फ़ा हो गया
अशफ़ाक़ आमिर
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ये रात ऐसी हवाएँ कहाँ से लाती है
कि ख़्वाब फूलते हैं और ज़ख़्म फलते हैं
अशफ़ाक़ आमिर
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ये रोग लगा है अजब हमें जो जान भी ले कर टला नहीं
हर एक दवा बे-असर गई हर एक दुआ बे-असर हुई
अशफ़ाक़ आमिर
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