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अरशद नईम शायरी | शाही शायरी

अरशद नईम शेर

2 शेर

मैं वुसअतों से बिछड़ के तन्हा न जी सकूँगा
मुझे न रोको मुझे समुंदर बुला रहा है

अरशद नईम




शाम ढलते ही दिल के आँगन से
दर्द का कारवाँ गुज़रता है

अरशद नईम