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अनवर नदीम शायरी | शाही शायरी

अनवर नदीम शेर

2 शेर

हो सकता है कोई हमें भी ढूँडे इन बंजारों में
जाने किस की खोज में कब से फिरते हैं बाज़ारों में

अनवर नदीम




मेरे कमरे में सभी चीज़ें हैं आज
ज़िंदगानी की तरह बिखरी हुई

अनवर नदीम