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हो सकता है कोई हमें भी ढूँडे इन बंजारों में | शाही शायरी
ho sakta hai koi hamein bhi DhunDe in banjaron mein

ग़ज़ल

हो सकता है कोई हमें भी ढूँडे इन बंजारों में

अनवर नदीम

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हो सकता है कोई हमें भी ढूँडे इन बंजारों में
जाने किस की खोज में कब से फिरते हैं बाज़ारों में

उम्र गँवाई खोज में जिस की ढूँड फिरे गुलज़ारों में
क़िस्मत की ये ख़ूबी देखो आन मिला वीरानों में

कोई नहीं जो तेरे आगे हुस्न का पैकर बन कर आए
श्रद्धा की कलियाँ मुस्काएँ क़ुदरत की सौग़ातों में

आप की ख़ुशियों की सरहद से दूर हमारे डेरे हैं
ढूँडेंगे कुछ लोग हमें भी आप के इन अफ़्सानों में

आन मिले तो भूल का जादू हम दोनों पर तारी है
कौन बताए कल क्या गुज़री फ़ुर्क़त की बरसातों में

मरने की ख़ातिर जीना ही जीने का दस्तूर नहीं
नाम हमारा आगे होगा दुनिया के नाकारों में