EN اردو
अनीस अशफ़ाक़ शायरी | शाही शायरी

अनीस अशफ़ाक़ शेर

6 शेर

देखा है किसी आहू-ए-ख़ुश-चश्म को उस ने
आँखों में बहुत उस की चमक आई हुई है

अनीस अशफ़ाक़




इस पे हैराँ हैं ख़रीदार कि क़ीमत है बहुत
मेरे गौहर की तब-ओ-ताब नहीं देखते हैं

अनीस अशफ़ाक़




क्यूँ नहीं होते मुनाजातों के मअनी मुन्कशिफ़
रम्ज़ बन जाता है क्यूँ हर्फ़-ए-दुआ हम से सुनो

अनीस अशफ़ाक़




न मेरे हाथ से छुटना है मेरे नेज़े को
न तेरे तीर को तेरी कमाँ में रहना है

अनीस अशफ़ाक़




उस की मुट्ठी में जवाहिर थे नज़र मेरी तरफ़
और मुझे पैराया-ए-अर्ज़-ए-हुनर आता न था

अनीस अशफ़ाक़




ये ख़ाना हमेशा से वीरान है
कहाँ कोई दिल के मकाँ में रहा

अनीस अशफ़ाक़