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आबिद सयाल शायरी | शाही शायरी

आबिद सयाल शेर

2 शेर

कफ़-ए-ख़िज़ाँ पे खिला मैं इस ए'तिबार के साथ
कि हर नुमू का तअल्लुक़ नहीं बहार के साथ

आबिद सयाल




यहाँ वहाँ हैं कई ख़्वाब जगमगाते हुए
कहीं कहीं कोई ताबीर टिमटिमाती हुई

आबिद सयाल