EN اردو
ज़बाँ तक आ गए | शाही शायरी
zaban tak aa gae

नज़्म

ज़बाँ तक आ गए

खालिद इरफ़ान

;

ज़ाइक़े जब हेम-बर्गर के ज़बाँ तक आ गए
पहले ना करते थे जो साहिब वो हाँ तक आ गए

उठ के पानी भी न पीते थे जो शाएर अपने घर
दाद की ख़ातिर वो 'ज़र्रीं' के मकाँ तक आ गए

उस गुलू-कारा में रेशम की थी कुछ ऐसी चमक
सद्र-ए-महफ़िल भी खिसक कर 'रेशमाँ' तक आ गए

उस ने इस अंदाज़ से चूमा मिरी तहरीर को
मेरे लेटर पर लिपस्टिक के निशाँ तक आ गए