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तूफ़ानी रात की आवाज़ | शाही शायरी
tufani raat ki aawaz

नज़्म

तूफ़ानी रात की आवाज़

क़मर जमील

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ऐ रोने वाले बादल
चुप हो जा

दस्तक देने वाले झींगुर
बाहर आ

कोयल मुझ में कूक रही है
डाली मुझ में सूख रही है

ख़िज़ाँ का सूरज निकल रहा है
मैं भी चुप हूँ

तू भी चुप हो जा
मैं भी सोने वाला हूँ

तू भी किसी दहक़ान के घर सो जा
ऐ रोने वाले बादल

चुप हो जा