ऐ रोने वाले बादल
चुप हो जा
दस्तक देने वाले झींगुर
बाहर आ
कोयल मुझ में कूक रही है
डाली मुझ में सूख रही है
ख़िज़ाँ का सूरज निकल रहा है
मैं भी चुप हूँ
तू भी चुप हो जा
मैं भी सोने वाला हूँ
तू भी किसी दहक़ान के घर सो जा
ऐ रोने वाले बादल
चुप हो जा
नज़्म
तूफ़ानी रात की आवाज़
क़मर जमील