EN اردو
तुम्हारे जाने के बा'द | शाही शायरी
tumhaare jaane ke baad

नज़्म

तुम्हारे जाने के बा'द

मुस्तफ़ा अरबाब

;

तुम्हारे जाने के बा'द
रात के आख़िरी पहर

चाँद ने कहा
मैं उदास हूँ

एक सितारे ने टूटते हुए कहा
मैं उदास हूँ

हवा ने दीवारों से सर टकराते हुए कहा
मैं उदास हूँ

बहार ने पीले फूलों में तब्दील होते हुए कहा
मैं उदास हूँ

शाम ने रात में ढलते हुए कहा
मैं उदास हूँ

मैं ने ऊँची आवाज़ में उन सब से कहा
मैं उदास नहीं हूँ

और रो पड़ा