प्यारे सूरज
तुम तो अपना चेहरा
आसमान पर तैरते तारों के आईनों ही में ढूँडते रहते हो
पर मेरी भी इक बात सुनो
ये जो आँख में रौशन तारे हैं
और ये जो गालों पर बहते हुए तारे हैं
और ये जो फूल फूल की पत्ती पत्ती पर ठहरे हुए तारे हैं
और ये जो रेत से झाँकते तारे हैं
और ये जो नदिया की लहरों पर नाचते और नहाते तारे हैं
ये तारे भी आईने हैं
और मेरी ज़मीन के ये आईने
प्यारे सिर्फ़ तुम्हारे हैं
नज़्म
तर्ग़ीब
नाहीद क़ासमी