बहुत देर हो गई
यूँ जागते जागते
ऐसा लगता है जैसे बूढ़ा हो गया हूँ
या हम वो हैं जिन्हें बूढ़ा ही जना गया
हाथ पाँव भी जवाब दे रहें हैं
ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा
आँखें जैसे धुँधिया गईं हों
शायद
आँसू हैं
पलकों की दहलीज़ भी पार नहीं कर पा रहें
अब तो जाने दो
कुछ देर के लिए सो जाने दो
जाने यूँ कि अभी कहीं से
वो इक फ़रिश्ता मेरे तआ'क़ुब में आ निकले
थोड़ी सी नींद पूरी कर लूँ
फिर उस के साथ भी जाना है
नज़्म
सोता हूँ
जीफ़ ज़िया