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सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर | शाही शायरी
sirf ghair-aham shaer

नज़्म

सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

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सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर
याद रखते हैं

बचपन की ग़ैर-ज़रूरी और सफ़ेद फूलों वाली ताम-चीनी की प्लेट
जिस में रोटी मिलती है

सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर
बे-शर्मी से लिख देते हैं

अपनी नज़्मों में
अपनी महबूबा का नाम

सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर
याद रखते हैं

बद-तमीज़ी से तलाशी लिया हुआ एक कमरा
बाग़ में खड़ी हुई एक लड़की की तस्वीर

जो फिर कभी नहीं मिली