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रुमूज़-ए-औक़ाफ़ की नज़्म | शाही शायरी
rumuz-e-auqaf ki nazm

नज़्म

रुमूज़-ए-औक़ाफ़ की नज़्म

दानियाल तरीर

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कहाँ पर लफ़्ज़ लिख कर फ़ासला देना
कहाँ कॉमा लगाना है

कहाँ क़ौसैन में लिखना
कहाँ पैरा बनाना है

कहाँ एहसास को लिखना है बस उस के अलिफ़ जितना
कहाँ एहसास

कहाँ एहसास को पूरा दिखाना है
तरीक़ा ही नहीं आता

तुम्हें तो नज़्म लिखने का सलीक़ा ही नहीं आता