प्रीत नगर से फेरी वाला मेरी गली में आया 
चूड़ी, लौंग, अँगूठी, छल्ले रंग बिरंगे लाया 
मैं ने पूछा और भी कुछ है, बोला मीठा सपना 
जिस को ले कर जीवन भर इक नाम की माला जपना 
मैं ने कहा क्या मोल है इस का, बोला इक मुस्कान 
तन में आग लगाओ इस से रक्खो मन की आन 
सस्ता सौदा देख के आख़िर में पगली मुस्काई 
जीवन भर का रोग समेट के मैं कैसी इठलाई 
रहेगा लाल गुलाब सा सपना कब तक मेरे संग 
कब तक इस में बास रहेगी, कब तक उस में रंग 
इस के तार बिखर जाएँगे कब मेरा दिल माने 
दिल पे रहेगा कब तक जादू फेरी वाला जाने
        नज़्म
फेरी वाला
सज्जाद बाक़र रिज़वी

