EN اردو
नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

सईदुद्दीन

;

एक के बअ'द एक कई मौतें मर कर
अब मैं ज़िंदा हो गया हूँ

एक मैं ही नहीं
यहाँ मेरे इर्द-गर्द

और बहुत से
कई बार

मौत का ज़ाइक़े चख चुके हैं
कुछ ऐसे भी हैं

जो एक बार मरने के बअ'द
दोबारा ज़िंदा न हो सके

कई मौतें मरने
या हर बार जी उठने पर

हम क्यूँकर ज़िंदा रहे
और एक बार मरने के बअ'द

कौन सी चीज़ हमें फिर से ज़िंदगी की तरफ़ ले आई
हमें नहीं मालूम

लेकिन एक बात तो तय है
इंसान दो तरह के हैं

और एक बार मरने वाले
और बार बार मरने वाले

ये भी तय समझे
कि एक बार मरने वाले

मरने से पहले ज़िंदा ज़रूर थे
बार बार मरने वालों के बारे में

ये बात यक़ीन से नहीं कही जा सकती