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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
नज़्म
अनवर सदीद
मुझे याद है राएगानी के गहरे समुंदर में जब मैं ने इकतारा अपना बजाया तो इस नग़्मा-ए-जाँ-फ़ज़ा से मक़ामात आह-ओ-फ़ुग़ाँ के उभारे मज़ामीन-ए-नौ के शरारे जगाए मिटा डाला एहसास सब राएगानी का समुंदर की तह से नया शहर उभारा