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मौत की नसीहत | शाही शायरी
maut ki nasihat

नज़्म

मौत की नसीहत

जावेद शाहीन

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मौत ने उस की आँखों में आँखें डालीं
तो उसे बदन का बोसीदा लिबास हाथ में थामे

बे-ख़ौफ़-ओ-ख़तर
अपने इस्तिक़बाल के लिए खड़ा पाया

वो सहम गई
उस की हैबत माँद पड़ गई

वो उस के क़ातिलों के पास गई
और जो कुछ देखा था उन्हें बता दिया

वो समझे कि मौत उन के साथ किसी साज़िश में शरीक हो गई थी
उन की तसल्ली के लिए

वो उस का बोसीदा लिबास ले आई
मगर जाते वक़्त नसीहत कर गई

कि इसे सँभाल कर रखें
उस दिन के लिए

जब मुल्क में कपड़े का क़हत पड़ेगा
और उन के नंगे बदन ढाँपने के लिए

किसी के पास कोई कपड़ा न होगा
उस एक लिबास के सिवा