कौन आवारा हवाओं का सुबुक-बार हुजूम
आह एहसास की ज़ंजीर गराँ टूट गई
और सरमाया-ए-अन्फ़ास परेशाँ न रहा
मेरे सीने में उलझने लगी फ़रियाद मिरी
फिर निगाहों पे उमँड आया है तारीक धुआँ
टिमटिमाना है मिरे साथ ये मायूस चराग़
आज मिलता नहीं अफ़्सोस पतंगों का निशाँ
मेरे सीने में उलझने लगी फ़रियाद मिरी
टूट कर रह गई अन्फ़ास की ज़ंजीर-ए-गिराँ
तोड़ डालेगा ये कम्बख़्त मकाँ की दीवार
और मैं दब के इसी ढेर में रह जाऊँगा
जी उलझता है मिरी जान पे बन जाएगी
थक गया आज शिकारी की कमाँ टूट गई
लौट आया हूँ बहुत दूर से ख़ाली हाथों
आज उम्मीद का दिन बीत गया शाम हुई
मैं ने चाहा भी मगर तुम से मोहब्बत न हुई
कि चुके अब तो ख़ुदा के लिए ख़ामोश रहो
एक मौहूम सी ख़्वाहिश थी फ़लक छूने की
ज़ंग-आलूद मोहब्बत को तुझे सौंप दिया
सर्द हाथों से मिरी जान मिरे होंट न सी
गर कभी लौट के आ जाए वही साँवली रात
ख़ुश्क आँखों में झलक आए न बे-सूद नमी
ज़लज़ला उफ़ ये धमाका ये मुसलसल दस्तक
बे-अमाँ रात कभी ख़त्म भी होगी कि नहीं
उफ़ ये मग़्मूम फ़ज़ाओं का अलमनाक सुकूत
मेरे सीने में दबी जाती है आवाज़ मिरी
तीरगी उफ़ ये धुँदलका मिरे नज़दीक न आ
ये मिरे हाथ पे जलती हुई क्या चीज़ गिरी
आज इस अश्क-ए-नदामत का कोई मोल नहीं
आह एहसास की ज़ंजीर-ए-गिराँ टूट गई
और ये मेरी मोहब्बत भी तुझे जो है अज़ीज़
कल ये माज़ी के घने बोझ में दब जाएगी
कौन आया है ज़रा एक नज़र देख तो लो
क्या ख़बर वक़्त दबे पाँव चला आया हो
ज़लज़ला उफ़ ये धमाका ये मुसलसल दस्तक
खटखटाता है कोई देर से दरवाज़े को
उफ़ ये मग़्मूम फ़ज़ाअों का अलमनाक सुकूत
कौन आया है ज़रा एक नज़र देख तो लो
तोड़ डालेगा ये कम्बख़्त मकाँ की दीवार
और मैं दब के इसी ढेर में रह जाऊँगा
नज़्म
मौत
अख़्तर-उल-ईमान