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ख़्वाहिश से तमन्ना तक | शाही शायरी
KHwahish se tamanna tak

नज़्म

ख़्वाहिश से तमन्ना तक

मलिक एहसान

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लाल पीली नीली नीली और हरी
ख़्वाहिशों की जाने कितनी मछलियाँ

तैरती रहती हैं मेरे जार में
और जब उन में से कोई यक-ब-यक

इक तमन्ना बन के बाहर कूदती हैं
साफ़-सुथरे फ़र्श पे दम तोड़ती है