लाल पीली नीली नीली और हरी
ख़्वाहिशों की जाने कितनी मछलियाँ
तैरती रहती हैं मेरे जार में
और जब उन में से कोई यक-ब-यक
इक तमन्ना बन के बाहर कूदती हैं
साफ़-सुथरे फ़र्श पे दम तोड़ती है
नज़्म
ख़्वाहिश से तमन्ना तक
मलिक एहसान
नज़्म
मलिक एहसान
लाल पीली नीली नीली और हरी
ख़्वाहिशों की जाने कितनी मछलियाँ
तैरती रहती हैं मेरे जार में
और जब उन में से कोई यक-ब-यक
इक तमन्ना बन के बाहर कूदती हैं
साफ़-सुथरे फ़र्श पे दम तोड़ती है