साए साए जाले जाले ख़ामोशी ख़ामोशी सी
टूटी टूटी उलझी उलझी बे-ख़्वाबी बे-ख़्वाबी सी
हर्फ़ों से बचता बचता मा'नी से छुपता छुपता
रंगों में डूबा डूबा साँसों में उभरा उभरा
ज़र्रों में चमका चमका लहरों में सहमा सहमा
तेज़ हवा के झोंकों में रुक रुक कर उड़ता उड़ता
नश्तर ज़हर मोहब्बत दर्द ख़ून के इक इक क़तरे में
रह रह कर चुभता चुभता
क्या है ये
कौन है ये
आँसू रेत बने कैसे पलकों पे चमके कैसे
हर मंज़िल पर लहराता है कब से ज़र्द फरेरा कौन
टूटे आदर्शों के शीशे गिनता है वो बैठा कौन
मेरे हर इज़हार में पिन्हाँ बे-मा'नी ख़ामोश क्यूँ
मेरे थक के सो जाने में ख़्वाबों में बेचैनी क्यूँ
मेरे बाम से उड़ जाता है क़तरा क़तरा नशा क्यूँ
ये रोज़-ओ-शब सारे लम्हे नन्हे नन्हे टुकड़े टुकड़े
रग रग में पैवस्त हुए ख़ून बने दर्द बने
इक मुद्दत से सुब्ह-ए-अज़ल से
मेरी रूह में कौन छुपा है
कौन छुपा है
नज़्म
ख़ौफ़
बाक़र मेहदी