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इन लोगों से ख़्वाबों में मिलना ही अच्छा रहता है | शाही शायरी
in logon se KHwabon mein milna hi achchha rahta hai

नज़्म

इन लोगों से ख़्वाबों में मिलना ही अच्छा रहता है

मुनीर नियाज़ी

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थोड़ी देर को साथ रहे किसी धुँदले शहर के नक़्शे पर
हाथ में हाथ दिए घूमे कहीं दूर दराज़ के रस्ते पर

बे-पर्दा स्थानों पर दौड़ाते हुए गीतों की तरह
ग़ुस्से में कभी लड़ते हुए कभी लिपटे हुए पेड़ों की तरह

अपनी अपनी राह चले फिर आख़िर शब के मैदाँ में
अपने अपने घर को जाते दो हैरान बच्चों की तरह