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हमें कहा जाएगा | शाही शायरी
hamein kaha jaega

नज़्म

हमें कहा जाएगा

ज़ीशान साहिल

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हमें कहा जाएगा कि हाथ उपर उठा लें
और अपने तलाई ख़्वाब, नुक़रई वादे

और काँसी के फूल हमारे हवाले कर दें
अपनी महबूबाएँ वालदैन और दोस्त

हमारे सुपुर्द कर दें
अपनी ज़मीन और आसमान गिरवी रख दें

अपने समुंदर और सहरा
बराए नाम क़ीमत पे फ़रोख़्त कर दें

कश्तियों और जंगलों को आग लगा दें
दरिया और पुल ख़ाली कर दें

घर छोड़ के चले जाएँ
और पीछे मुड़ के न देखें

मोहब्बत एक ना-मुनासिब क़दम है
इस से गुरेज़ करें

हमें कहा जाएगा कि
आइंदा कुछ न कहें