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ढोल का पोल | शाही शायरी
Dhol ka poll

नज़्म

ढोल का पोल

सरमद सहबाई

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मैं ही मैं हूँ
और मेरी इस मैं मैं की मिम्याहट में

अपने न होने के ख़ौफ़ की झुंझलाहट है
समझ गए ना

आपस ही की बात वर्ना ''अलिफ़'' से ''य'' तक
मैं मैं की गर्दान ही मेरी टीस है

ये क्या
आप भी भोले बाछा हैं

मैं ने कहा ना मुझे न ढूँडें
ऐसी फ़ुज़ूल तलाश का मक़्सद

मेरे अंदर तो मत झांकें
हाँ बाहर से जितना चाहे बजाएँ मैं मैं

मैं मैं
देखा ये सरकारी नाप तोल है

यही तो ढोल का पोल है