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एक्ट्रेस | शाही शायरी
actress

नज़्म

एक्ट्रेस

क़तील शिफ़ाई

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थरथराती रही चराग़ की लौ
अश्क पलकों पे काँप काँप गए

कोई आँसू न बन सका तारा
शब के साए नज़र को ढाँप गए

कट गया वक़्त मुस्कुराहट में
क़हक़हे रूह को पसंद न थे

वो भी आँखें चुरा गए आख़िर
दिल के दरवाज़े जिन पे बंद न थे

सौंप जाता है मुझ को तन्हाई
जिस पे दिल ए'तिबार करता है

बनती जाती हूँ नख़्ल-ए-सहराई
तू ने चाहा तो मैं ने मान लिया

घर को बाज़ार कर दिया मैं ने
बेच कर अपनी एक एक उमंग

तुझ को ज़रदार कर दिया मैं ने
अपनी बे-चारगी पे रो रो कर

दिल तुझे याद करता रहता है
क़हक़हों के सियह उजाले में

जिस्म फ़रियाद करता रहता है