इस के आदाब तो पहले सीखो 
ख़ाक में ख़ून-ए-रग-ए-जाँ तो 
मिला कर देखो 
आँख दरिया तो बना कर देखो 
शाम की ठंडी हवा रास्तों को देगी बोसे 
ख़्वाब आँखों में समुंदर का उतर आएगा 
रंग में रंग मिलेंगे 
गीत फिर छेड़ेंगे दरिया के किनारे अश्जार 
आईना देखते हो 
सतह-ए-दरिया पे जहाँ काई बने आईना 
चाँदनी झील की लहरों पे बने आईना 
अश्क आँखों से गिरे और बने आईना 
सारबानों के क़दम चूमते जो दश्त बने आईना 
आतिश-ए-ग़म से जले दिल तो बने आईना 
आँख से साफ़ करो गर्द 
नज़र तेज़ करो 
ख़ाक में ख़्वाब मिलाओ 
उसे महमेज़ करो
        नज़्म
आईना देखते हो
फ़हीम शनास काज़मी

